Translate

Saturday, September 19, 2015

माँ के बिना जीवन (Life Without Mother)

इतना समय बीता, इतने मौसम बीते परन्तु जो नहीं बदला वो है माँ का प्यार, दुलार। बहुत खुशनसीबों को ही यह प्यार मिल पाता है जो एक ईश्वर रूपी वरदान है। कभी सोचा है जिनके पास माँ नही होती है, उनका जीवन कैसा होता है। नही, क्योंकि हमारे पास तो हमारी माँ है। माँ की अहमियत या उनका विवरण शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। मैंने अपनेे समाज में ही देखा है, कि अगर माँ के चले जाने के बाद बेटी धर से बाहर भी निकल जाए या अपने किसी दोस्त से बात करें तो कहा जाता है कि अब माँ तो चली गई है अब किस बात का डर है। अखिर यह कड़वे वचन लोगों के मुँह से कैसे कहे जा सकते है ? कई बच्चों कों माँ का प्यार मिल पाता है तो उन्हें उसकी कदर करना ही नहीं आता। कभी यह सोचा है कि हमारे जीवन में माँ के होने की क्या अहमियत है। माँ सिर्फ एक शब्द नही है जो बच्चों की परछाई बन कर उनके साथ चलती है चाहे कुछ समय के लिए वह अंोझल हो जाए, परन्तु उसे कोई भी शक्ति हमसे अलग नही कर सकती हैै। परन्तु माँ के जाने के बाद सबसे अधिक परेशानियाँ बेटियों के जीवन में दस्तक देती है। बेटियाँ अपने आप को बहुत अकेला और कमजोर समझने लगती है। उन्हे अपनी गलती पर तो चुप रहना ही पड़ता है पर उनकी गलती न होने पर भी झुकना पड़ता है। उन्हीं के रिश्तेदार यहाँ तक की उन्हीं के भाई उन पर हाथ उठाने लगते हैं। कभी भी उनके घर आ जाते हैं। और उन पर अपना अधिकार जमाने के कई प्रयत्न करते हैं। पर फिर भी लड़की चुप रहती ही रहती है, क्यों ? इसलिए ताकि कहीं उसके परिवार का अपमान न हो जाए, कहीं लोग उसे गलत न समझें। नहीं वे अपनी माँ के दिल को ठेस नही पहुँचाना चाहती। उनके लिए आज भी उनकी माँ जिन्दा है, उनके पास उनके करीब है, हर कदम पर उनके साथ है। वो माँ जिसने हमें जीवन वरदान दिया है। अपने हाथों से हमें पाला है, बड़ा किया है, अंगुली पकड़ाकर चलना सिखाया है। रात को जब सब सो जाते तो वो हमें लोरियाँ, कहानियाँ सुनाकार सोती है। कभी हम बीमार हो जाएँ तो रात-रात भर हमारे लिए जागती है।
http://ambikanworld.com/shopping.htm

माँ शब्द ही अपने आप में अतुल्य है। फिर भी लोगों के विचार क्यों नही बदलते हैं। यदि परिवार में सिर्फ पापा और दो बेटियाँ हो तो यह बाते बनाई जाती हैं कि बिना भाई के बहनें हैं तो बिगड़ना है ही क्योंकि सर पर से तो माँ का साया उठ चुका है। कोई भी व्यक्ति यह बातें कितनी जल्दी बोल देता है। उन लोगों को अपनी गलती का एहसास तब होता है जब यह अविश्वसनीस घटना उनके परिवार के साथ होती है। इसीलिए कहते हैं जिसको चोट लगती है तो दर्द भी सिर्फ उसी को होता है दूसरे तो सिर्फ झूठा दिलासा और तसल्ली ही दे सकते हैं। उन बेटियों के पास भी एक दिल होता है, कुछ इच्छाएँ होती हैं जो वो माँ के जाने बाद किसी और के साथ बाँटना चाहती हैं। परन्तु वो ऐसा कुछ भी नहीं कर पातीं, सारा दर्द दुखः अपने अंदर ही समेट लेती है। हमारे जीवन र्मे मदर्स डे’ सिर्फ एक त्योहार मात्र का दिन है पर उन बेटियों के लिए यह दिन एक सदी के बराबर बन जाता है जो सिर्फ उस बुरे दिन की याद दिलाता है। जब उनकी माँ उन्हें अकेला तन्हा छोड़ कर चली गई थी। बस एक पल के लिए सोचो की यदि तुम्हारी माँ पास नहीं है - - - यह सोंच कर ही रूह कांप जाती है। माँ के जाने के बाद बेटियों से कहा जाता है कि घर की सफाई कर, एक - एक कपड़ा दोबारा से धो, खाना बना। क्यों ? क्या कोई घर में अपशगुन हो गया है। उसकी दोस्तों की मम्मियाँ भी कहती हैं की उससे बात मत कर, उसके घर मत जा, उससे दूर रहो क्यों ? क्या कोई इस क्यों का जवाब दे सकता है या उन सब लोगों को समझा सकता है आप जो कर रहे हैं, वह महापाप है। दूसरों की बेटियों को भी अपनी बेटी समझ कर देखो तो उनकी जगह पर खड़े होकर देखो तो लगता है कि हम ऐसे समुद्र के बीच में खड़े हैं जिसका कोई किनारा नहीें है।

No comments:

Post a Comment